Valentine's Day 2020 Special:
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Special Love Stories |
हमारा देश दुनिया में एक विशिष्ट स्थान रखता है। कला, शौर्य, अध्यात्म आदि के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि प्रेम कथाओं के क्षेत्र में भी कई ऐसे नायक नायिकाएं हुए हैं जिनकी प्रेम कहानियों ने एक अमिट छाप छोड़ी है। इस वैलेंटाइन डे पर हम आपको प्रेम की सच्ची मिसालें पेश करने वाली, हमारे इतिहास से जुड़ी कुछ अमर कहानियों के बारे में बताएंगे।
वैलेंटाइन डे मानाने से पहले आपको इन कहानियों के बारे में पढ़ना चाहिए ताकि आप भी निस्वार्थ भाव से अपने प्रेम को चरमोत्कर्ष तक पहुंचा सके। वो कहते हैं न "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं...", जी हां प्रेम की यह शर्त होती है कि आप समाज से ऊपर उठकर अपने प्रेम को चुनें, प्रेम को जिएं।
💥Read Some Interesting Love Stories:
भारत के इतिहास में जिन प्रेमी जोड़ों ने अपने प्रेम को भरपूर जिया, वे मशहूर जोड़े हैं -
1. मुमताज - शाहजहां
जहाँ बात प्रेम कहानियों की चल रही हो वहाँ मुमताज और शाहजहां का प्रेम अपनी जगह ज़रूर बनाता है। इनके प्रेम की मिसाल 'ताजमहल' के रूप में आज भी हम सबके सामने है। कहते हैं शाहजहां की कई बेगमें थीं लेकिन मुमताज से उन्हें विशेष लगाव था। और इनकी अनोखी प्रेम कहानी को संगमरमर के पत्थर आज भी जीवित किये हुए हैं।
2. मस्तानी - बाजीराव
मराठा इतिहास की अमर प्रेम कहानी है बाजीराव मस्तानी की जिसे बॉलीवुड ने भी सलाम किया है। बॉलीवुड ने इस कहानी पर फिल्म बनाकर लोगों को सच्चे प्रेम का उदहारण दिया है। पेशवा बाजीराव मराठा के एक जांबाज योद्धा थे और राजकुमारी मस्तानी बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की खूबसूरत पुत्री थी। बाजीराव की पहली पत्नी थी काशीबाई।
विवाह के बाद बाजीराव को दोबारा प्रेम हुआ लेकिन मस्तानी को भी उन्होंने अपनी पत्नी का दर्जा दिया, हालांकि मस्तानी को कभी भी कानूनी अधिकार नहीं मिल पाया। मस्तानी बाजीराव की दूसरी पत्नी थी लेकिन बाजीराव और मस्तानी का प्रेम इतना गहरा था कि जब बाजीराव की मृत्यु हुई तब मस्तानी यह दुख सह न सकी और उन्होंने आत्महत्या कर ली।
3. अनारकली - सलीम
कहते हैं न प्रेम में दर्द भी मिलता है। इस बात का उदाहरण है सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी। अनारकली के कारण बाप बेटे यानि कि अकबर और सलीम में जबरदस्त युद्ध हुआ था लेकिन इसमें सलीम की हार हुई। अब सलीम के सामने शर्त रखी गई कि वे इन दो विकल्पों में से चुनाव करें - आत्महत्या या अनारकली को अकबर को सौंपना।
सलीम ने अपनी मोहब्बत को महफूज़ रखने के लिए मृत्यु को चुना लेकिन अनारकली यह कैसे देख पाती। उसने अपने आप को अकबर के हवाले किया जिसके बाद उसे दीवारों में ज़िंदा चुनवा दिया गया। ऐसे इस प्रेम कहानी का एक दुखद अंत हुआ।
4. संयुक्ता और पृथ्वीराज
यह कहानी हिंदी साहित्य के मशहूर ग्रंथ 'पृथ्वीराज रासो' में वर्णित है। इसमें पृथ्वीराज के शौर्य और पराक्रम के अलावा प्रेम का भी अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। कन्नौज की राजकुमारी संयुक्ता से पृथ्वीराज चौहान को प्रेम हो गया लेकिन राजकुमारी के पिता पृथ्वीराज के शत्रु थे। कन्नौज के राजा जयचंद को जब अपनी बेटी संयुक्ता और पृथ्वीराज के प्रेम संबंध के बारे में पता चला तो उन्होंने क्रोध में आकर तुरंत संयुक्ता के स्वयंवर का निर्णय ले लिया।
जब स्वयंवर आयोजित किया गया तो जयचंद ने कई राजकुमारों को बुलाया लेकिन पृथ्वीराज को अपमानित करने के लिए उसे निमंत्रण नहीं दिय। जयचंद ने पृथ्वीराज का एक पुतला बनवाया जिसे उसने अपने दरबार के बाहर दरबान के रूप में खड़ा कर दिया। जब राजकुमारी संयोगिता वरमाला लेकर आईं तो वे सभा में मौजूद सभी महान राजकुमारों को छोड़कर दरबार के बाहर पृथ्वीराज के पुतले को माला पहनाने गईं।
पुतले के पीछे पृथ्वीराज खड़े थे, जैसे ही संयुक्ता माला लेकर आईं, पृथ्वीराज तुरंत संयुक्ता को अपने साथ भगाकर ले गए। इस प्रेम कहानी ने इतिहास के पन्नो पर स्वर्ण अक्षरों से अपना नाम अंकित किया है।
5. सोनी - महिवाल
मुग़ल व्यापारी के घर जन्मे महिवाल का असली नाम इज़्ज़त बेग था। जब वह देश भ्रमण पर निकला तो एक कुम्हार की बेटी सोनी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और और वह सोनी के घर पर भैंस चराने वाला बनकर रहने लगा। सोनी की मां को जब यह पता चला तो उसने उन्हें बहुत फटकारा और महिवाल को अपने घर से निकाल दिया। सोनी की शादी कहीं और कर दी गई। लेकिन सोनी अपनी मोहब्बत को नहीं भुला पाई।
जंगल में रह रहे महिवाल ने खून से लिखा हुआ खत सोनी को भिजवाया, खत पढ़कर सोनी रोने लगी और महिवाल को जवाब दिया कि मैं तुम्हारी थी और तुम्हारी ही रहूंगी। जैसे ही सोनी का खत महिवाल को मिला वह साधु भेष में उससे मिलने पहुंचा।
अब तो सोनी मिट्टी के घड़े से तैरकर चनाब नदी पार करती और दोनों घंटों तक एक दूसरे से मिलते। सोनी की भाभी को इसकी खबर हो गई और एक दिन उन्होंने उसका पक्का घड़ा बदल कर कच्चा घड़ा रख दिया।
अब तो सोनी मिट्टी के घड़े से तैरकर चनाब नदी पार करती और दोनों घंटों तक एक दूसरे से मिलते। सोनी की भाभी को इसकी खबर हो गई और एक दिन उन्होंने उसका पक्का घड़ा बदल कर कच्चा घड़ा रख दिया।
सोनी को पता चल गया था कि शायद मेरा घड़ा बदल दिया गया है, लेकिन महिवाल से मिलने की जल्दी में वह मिट्टी का कच्चा घड़ा लेकर ही चनाब नदी में कूद पड़ी। कच्चा घड़ा बीच में टूट गया और सोनी पानी में डूब गई। चनाब के दूसरे किनारे महिवाल बैठा सोनी का इंतजार कर रहा था, तभी सोनी का मुर्दा शरीर बहता हुआ उसके पैरों से टकरा गया।
सोनी की ऐसी हालत देखकर महिवाल पागलों की तरह चनाब की लहरों में खो गया। उस दिन सोनिया महिवाल तो चनाब की लहरों में खो गए लेकिन इनकी प्रेम कहानी पंजाबी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सदा के लिए अमर हो गई।
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!
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💬 सहयोग: अनविता कुमारी
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