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Akshay Tritiya 2020: आखिर! क्यों मनाया जाता है, अक्षय तृतीया

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'शेयरिंग इज केयरिंग’ के फार्मूले पर मनाया जाता है, अक्षय तृतीया:

आखिर! क्यों मनाया जाता है, अक्षय तृतीया
Akshay Tritiya

लॉकडाउन की वजह से माहौल सूना-सूना सा है, पर त्योहारों की चमक कभी भी फीकी नहीं पड़नी चाहिए, क्योंकि त्योहार हमें तरोताजा करने के लिए आते हैं। इस अक्षय तृतीया पर आप कहीं बाहर तो नहीं जा सकते पर घर में ही रहकर अपने आस-पड़ोस के लोगों की मदद कर, उनके चेहरे पर मुस्कान जरूर ला सकते हैं। 

आइए जानते हैं अक्षय तृतीया के बारे में ताकि इस पर्व को मनाने में कुछ जरूरी आपसे छूट ना जाए। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष को तृतीया को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूरज और चांद एक ही राशि में होते हैं। इसे आखा तीज के नाम से भी जानते हैं। इस बार ये पर्व 26 अप्रैल को है। 

💥क्यों मनाया जाता है, अक्षय तृतीया:

पारम्परिक रूप से यह तिथि भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्मतिथि होती है। इसके अलावा भी कई कारण है, जिसकी वजह से अक्षय तृतीया का दिन खास माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। 

वेद व्यास और भगवान गणेश द्वारा महाभारत ग्रंथ का लेखन भी इसी दिन से प्रारंभ हुआ माना जाता है। मां गंगा के धरती पर आगमन की तिथि भी यही माना जाता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व माना जाता है। हिंदू तीर्थस्थल बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि से खोले जाते हैं। 

वृंदावन के बांके बिहारी में पूरे साल में सिर्फ एक बार इसी दिन श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं। इस तिथि को काफी शुभ माना जाता है इसलिए इस तिथि पर कोई भी काम बिना मुहूर्त निकाले किया जाता है। 


ज्यादातर शादी-ब्याह के काम हो या व्यापार आदि की शुरूआत करनी हो या गृह प्रवेश करना हो इसी दिन करने पर जोर दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पितरों को किया पिंडदान फलदायी होता है। 

एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के काल में जब पांडव वनवास में थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण जो स्वंय भगवान विष्णु के अवतार में हैं, उन्हें एक अक्षय पात्र उपहार स्वरूप दिया था। यह एक ऐसा पात्र है जो कभी खाली नहीं होता था और जिसके सहारे पांडवों को कभी भी भोजन की चिंता नहीं हुई और मांग करने पर इस पात्र में असीमित भोजन प्रकट होता था। 

श्रीकृष्ण से संबंधित एक और कथा अक्षय तृतीया के संदर्भ में प्रचलित है। कथानुसार, श्रीकृष्ण के बालपन के मित्र सुदामा इसी दिन श्रीकृष्ण के द्वार पर उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए थे। भेंट के रूप में सुदामा के पास केवल मुट्ठी भर पोहा ही था। 

श्रीकृष्ण से मिलने के उपरांत अपना भेंट उन्हें देने में सुदामा को संकोच हो रहा था किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने मुट्ठी भर पोहा उनसे ले लिया और बड़े ही चाव से खाया। चूंकि सुदामा श्रीकृष्ण के अतिथि थे, श्रीकृष्ण ने उनका भव्य रूप से आदर-सत्कार किया गया। 

ऐसे सत्कार से सुदामा बहुत ही प्रसन्न हुए किंतु आर्थिक सहायता के लिए श्रीकृष्ण ने कुछ भी कहना उन्होंने उचित नहीं समझा और वह बिना कुछ बोले अपने घर के लिए निकल पड़े। जब सुदामा अपने घर पहुंचे तो दंग रह गए। 


उनके टूटी झोंपड़ी की जगह पर एक महल था और उनकी गरीब पत्नी और बच्चे नए कपड़ों से सजे हुए थे। सुदामा को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह उनके दोस्त श्रीकृष्ण का ही आशीर्वाद है। यही कारण है कि अक्षय तृतीया को धन-संपत्ति की लाभ प्राप्ति से भी जोड़ा जाता है।


💥दान का होता है, खास महत्त्व:

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है पर इस बार ये मुमकिन नहीं है। इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से इसका कई गुना फल मिलता है। इस अक्षय तृतीया को आप भी अपनी हैसियत के मुताबिक जरूर दान करें। 

इस दिन आप जौ खरीद कर भगवान विष्णु के चरणों में रख सकते हैं। पूजा करने के बाद इस जौ को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें। हिंदु मिथ के अनुसार जौ को सोने के समान माना जाता है। जौ का दान सोने के दान के समान माना जाता है। 

वैसे तो इस दिन गंगा स्नान भी किया जाता है पर इस बार आप ये नहीं कर पाएंगे सो इस दिन आप घर पर ही स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर ले। कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पपपिपूजा करने से धन-धान्य की कमी नहीं रहती। 


इस दिन आप भगवान को सात्विक भोजन का भोग जरूर लगाएं और इसके बाद अपने परिवार वालों के साथ ही इस भोग को ग्रहण करें। अक्षय तृतीया के दिन किसी भी तरह के मांस-मदिरा के सेवन से बचें। खुद भी सात्विक भोजन ग्रहण करें और भगवान को भी इसी भोग लगाएं। 

लड़ाई-झगड़ों से बचें- कहा जाता है कि जहां सुकून होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इस दिन किसी भी तरह के लड़ाई-झगड़ों से बचें और खुशी के साथ इस पर्व को मनाएं। वैसे तो इस दिन बाहर निकलना मुमकिन नहीं हो पाएगा, पर अगर आपके आस पड़ोस में या आपके पास गाय है, तो जल में गुड़ मिलाकर गाय को पिलाएं। 

गुड़ की डली को रोटी में मिलाकर आप गाय को खिला सकते हैं। अक्षय तृतीया रविवार को है, ऐसे में ये करना सूरज को बलवान करेगा। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि इससे रोग से बचने की क्षमता मिलती है। धन में वृद्धि होती है। 

इस दिन आप अपने बच्चों को कॉपी, कलम और लड़कियों को हरी चूड़ियां आदि दे सकते हैं क्योंकि इस दिन को व्यापार, शिक्षा, और धन के लिए शुभ माना जाता है। 

इस दिन पानी भरे मिट्टी के बर्तन मंदिर में दान कर सकते हैं। मिट्टी, कलश और पानी के दान का अलग महत्त्व होता है, हिंदु मान्याताओं के अनुसार, ये शुभ माना जाता है। पानी भरे घड़े को दान करने से नवग्रहों की शांति होती है। साथ ही तीन शुभ चीजों के दान का फल मिलता है। 

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: नबीला शागुफ़ी 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे । 

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