Why Do We Celebrate Easter?
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Easter 2020 |
हम इंडिया वाले त्योहारों को लेकर बड़े उत्साहित रहते हैं। चाहे ईद हो, दीवाली हो गुरु पर्व हो या ईस्टर सारे त्योहारों के लिए हम अपने दिल का एक कोना खाली जरूर रखते हैं। क्योंकि त्योहार चाहे जो भी हो अपने साथ कई रंग, बहुत सारी खुशियां तो कभी अपने अतीत से सबक लेने का संदेश भी तो दे जाती हैं।
रामनवमी तो हमने मना ली और फिलहाल हमारे त्योहारों की लिस्ट में ईस्टर अगले नंबर पर है। अब ईस्टर आने वाला है तो चलिए इसके बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं:
💥ईस्टर का इतिहास:
ईस्टर का त्योहार यूं तो ईसाई समुदाय के लोग मनाते हैं और ये त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है। इस त्योहार की शुरूआत आठवीं सदी में एक विद्वान सेंट बीड के द्वारा किया गया था। ये माना जाता है कि इस दिन प्रभू यीशु मसीह का पुनर्जन्म हुआ था। ईस्टर बसंत ऋतु के पहले इतवार के दिन मनाया जाता है।
हालांकि बाइबिल में इसका जिक्र नहीं है पर ईसाई मान्यताओं के अनुसार ये माना जाता है कि करीब दो हजार साल पहले यरुशलम के एक पहाड़ पर प्रभू यीशु को क्रॉस पर लटका दिया गया था। इससे पहले उन्हें काफी यातनाएं दी गई थीं।
कष्ट झेलने के बावजूद प्रभू यीशु ने प्रार्थना की थी कि प्रभू इन्हें माफ कर देना क्योंकि इन्हें पता नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं। जिस दिन प्रभू यीशु ने सत्य की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी थी उस दिन को गुड फ्राइडे के रुप में मनाया जाता है और उनके फिर से जन्म लेने वाले दिन को ईस्टर के तौर पर मनाया जाता है।
कहा जाता है कि ईस्टर के 46 दिन पहले जो भी बुधवार आता है उस दिन से ये पर्व प्रारंभ हो जाता है। जिसमें अंतिम सप्ताह पवित्र सप्ताह माना जाता है और इस सप्ताह के आखिरी रविवार को ईस्टर मनाया जाता है। कहा जाता है कि 46 दिन में से एक दिन ये भविष्यवाणी हुई थी कि प्रभू यीशु फिर से जी उठेंगे। एक रविवार को ऐसा हुआ भी तब से लोग ईस्टर को बहुत अच्छे से मनाते हैं।
💥ईस्टर का अण्डा कनेक्शन:
आपने जब भी ईस्टर से संबंधित तस्वीरें वगैरह देखी होंगी उसमें अण्डे की तस्वीर जरूर देखी होगी। अब अण्डे को देख कर आपके मन में भी सवालों के बादल उमड़-घुमड़ करते होगें कि आखिर ईस्टर से अण्डे का क्या कनेक्शन है तो जनाब हम हैं न आपको ये बताने के लिए।
दरअसल ईस्टर का प्रतीक अण्डा होता है। ईस्टर के प्रतीक अण्डे से ये माना जाता है कि हर प्राणी के लिए नवीनीकरण, कायाकल्प, नया उत्सव की कामना की जाती है। ईस्टर में अण्डे का खास महत्व होता है। इस दिन अंडे को चित्रकारी या किसी अन्य तरीके से सजाकर या उपहार के तौर पर एक-दूसरे को दिया जाता है।
इस दिन अण्डे का आदान-प्रदान शुभ माना जाता है। ये जीवन के प्रति ऊर्जा और उमंग का पर्याय होता है। अण्डे के साथ-साथ लोग एक-दूसरे को अण्डे के आकार के गिफ्टस देते हैं। खास बात ये है कि ये अण्डे खोखले होते हैं। जिस तरह से पतझड़ के बाद बहार का मौसम आता है उसी तरह ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है कि गम के बाद खुशी का माहौल है।
जहां अण्डे के शैल से यीशु के कब्र को दर्शाया जाता है उसी तरह ले बसंत के फूलों से पुनः जीवन का प्रतिनिधित्व किया जाता है। इस त्योहार को लेकर ये माना जाता है कि सत्य को परेशान किया जा सकता है पर उसे मिटाया नहीं जा सकता।
💥देश-दुनिया और ईस्टर:
ईस्टर त्योहार को दुनिया के लगभग सभी देशों में मनाया जाता है। ईसाई समुदाय के लोग इस दिन खासकर पार्टी का आयोजन करते हैं और अपने मित्रों को निमंत्रण देते हैं। सभी लोग मिलकर गाने गाते हैं। सभी लोग इस दिन मिठाइयां और बधाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।
फ्रांस: फ्रांस में ईस्टर त्योहार को क्रिसमस से भी ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों को सजाया जाता है, उपहार दिए जाते हैं। चूंकि ये त्योहार रविवार के दिन होता है इसलिए मुख्य तौर पर इसे फैमिली टाइम से जोड़ कर देखा जाता है। इस दिन माता-पिता अंडे के आकार के चॉकलेट्स घरों में इधर-उधर छिपाते हैं और बच्चे पूरे उत्साह के साथ उन्हें ढूंढते हैं।
इंग्लैंड: यहां भी ईस्टर का विशेष महत्व है। यहां के लोग इस दिन बहुत सारी यादें पूरे साल के लिए इकट्ठा कर लेना चाहते हैं। इसलिए इस त्योहार को पूरे जोशो-खरोश के साथ मनाया जाता है। इस दिन यहां एक कार्निवल का आयोजन किया जाता है और लोग सड़कों पर उपहार और मिठाइयां, केक वगैरह बांटते हैं। यहां की परंपरा के अनुसार इस दिन के लिए एक नई चीज पहनना जरूरी होता है।
💥देसी ईस्टर:
हम भारतीयों के नजर से कहां कोई त्योहार बचने वाला है सो इस ईस्टर को भी हम अपने रंग में सराबोर कर देसी स्टाईल में इसे भी मनाते हैं। ईस्टर त्योहार भारत में ब्रिटिश काल से ही मनाया जाता रहा है। वर्तमान में मुबंई, गोवा और देश के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है।
इस दिन ईसाई समुदाय के लोग चर्च को विशेष रुप से सजाते हैं। अपने धर्म से प्रार्थना गाए जाते हैं। नृत्य और अन्य तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सेलिब्रेशन हो और उसमें खाने का कुछ फिर तो सबकुछ फीका लगने लगेगा इसलिए इस दिन खान-पान का भी विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन सभी एक दूसरे को गिफ्टस, कार्ड्स, चॉकलेट्स, केक वगैरा देकर विश करते हैं। इस दिन ईसाई समुदाय के लोगों में सुबह से शाम तक जश्न का माहौल होता है और इनकी सुबह से शाम तक पार्टी चलती है।
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💬 सहयोग: नाबीला शागुफ़ी
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