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Reality of Social Media: एक आजाद पंछी या फैलता वायरस

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The Truth About Social Media:

Reality of Social Media
The truth of Social Media

आज का समाज सोशल मीडिया से चिर परिचित तरीके से अवगत है हम सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया क्या है इसका प्रयोग कैसे किया जा सकता है और किया जाता है लेकिन इस पर हमारी दृष्टि कितनी पोस्ट है उसे कभी हमने तराजू की तरफ कॉल करके देखना है| 

सोशल मीडिया को इसलिए बनाया गया था ताकि दूरदराज से लोग एक दूसरे के संपर्क में आ सके लोग एक दूसरे की संस्कृतियों को जान सकें भाईचारा बड़े और जो हमारा संसार है वह  वह एक स्थान पर एकजुट होकर एक दूसरे से भाईचारा बढ़ा सके तथा एक दूसरे की मदद कर सके| 

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं, वैसे ही सोशल मीडिया की अच्छाइयां बहुत हैं लेकिन इसकी बुराइयां भी उतनी ही हैं | आइए हम सारे इसे एक तुलनात्मक दृष्टि से आकलन करते हैं और देखते हैं कि क्या हमारा समाज इसे एक आजाद पंछी की तरह रखता है या फिर एक फैलते वायरस की तरह |


💥सोशल मीडिया के फायदे:

आज के समाज में ज्ञान से स्कूलों में या पुस्तकों में सीमित नहीं रह गया है| सोशल मीडिया के आने से आजकल इंटरनेट ज्ञान का बहुत बड़ा भंडार बन चुका है जिससे आप जब भी चाहे ज्ञान अर्जित कर सकते हैं और वह किसी भी विषय पर हो सकता है| 


हम देखते हैं कि आजकल बहुत सारे एप्लीकेशंस है जो ज्ञान का भंडार बने बनकर विद्यार्थियों की मदद करते हैं,  जैसे अनअकैडमी, वाइफाईस्टडी, बाईजूस ,आकाश ,राउस आईएएस, विजन आईएएस, और भी बहुत सारे एप्लीकेशंस है जो विद्यार्थियों की अनेक तरीके से मदद करते हैं ,उन तक पुस्तके पहुंचाते हैं तथा उनकी हर विषय में सहयता करते हैं।   

यह तो रही पढ़ाई का एक क्षेत्र लेकिन अनेक क्षेत्र में सोशल मीडिया के अनेक फायदे हैं जैसे कि आप दूर दराज से कहीं भी किसी से भी बात कर सकते हैं| सोशल मीडिया के होने से ऐसा  प्रतीत होता है मानो कि पूरा विश्व में एक घर है|

💥सोशल मीडिया के नुकसान:

आजकल आप सभी फेक न्यूज़ से  परिचित है तथा उन्हें बहुत सारे संस्थानों पर पढ़ते भी होंगे| फेक न्यूज़ ना हमारे सोचने की शक्ति अथवा हमारे सोचने के तरीके को भी प्रभावित करता है| फेक न्यूज़ के द्वारा हम सब जानते हैं कि किस हिसाब से झूठ को सच मान के फैलाया जाता है| और हमारी भोली-भाली जनता   इस झूठ को सच मान भी लेती है।

WHO  ने बताया है कि युवाओं में डिप्रेशन 43% तक बढ़ रहा है| वह भी सिर्फ सोशल मीडिया से| सोशल मीडिया के आने से एक नई तरीके का अपराध भी जनित हुआ है जिसे हम साइबरक्राइम कहते हैं और यह अपराध इतना जटिल होता है कि कभी-कभी अपराधी को पुलिस पकड़ भी नहीं पाती। 


साइबर अपराधी नहीं अनेक तरीके के अपराध है जो सोशल मीडिया के बाद शुरू हो चुके हैं जिससे हमारी पुलिस और न्याय व्यवस्था बिल्कुल अनजान है| लोगों को भ्रमित करके उन्हें एक दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है झूठे मैसेजेस को ऐसे आगे बढ़ाया जाता है जैसे वह सत्य  हो| 

हमारे न्याय व्यवस्था की विडंबना यह है कि वह चाह करके भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकती क्योंकि साइबर क्राइम में बहुत कम सबूत होते हैं जिसके बिना पर हम गुनहगार को पकड़ सकते हैं| महिलाओं के प्रति हिंसा में भी बहुत तेजी से उछाल देखने को मिलती है |


💥बुराइयों के लिए रोकथाम:

जिस हिसाब से सोशल मीडिया अपराध बढ़ते जा रहे हो उससे बस एक ही सवाल मन में आता है कि क्या हमारा देश अभी सोशल मीडिया के लिए तैयार है | इसका जवाब आपको स्वयं से ही पूछना होगा| सबसे बड़ी बात सामने आती है कि जिस हिसाब से सोशल मीडिया पर बढ़ते अपराध को देखा जाए उस हिसाब से इस पर लगाम कौन लगाएगा| 

लगाम लगाने की बात आती है तो लोगों को लगता है कि उनके मौलिक अधिकार छीन जाएंगे| लेकिन मेरे विचार में अगर सरकार चाहे तो अच्छे तरीके से इस पर लगाम लगा सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि लोगों तक सच्चाई पहुंचे| सरकार को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने पड़ेंगे जैसे कि सबसे पहले तो लोगों को बताना पड़ेगा कि सोशल मीडिया पर क्या सच है क्या झूठ है| 


इसके लिए सरकार को उन्हें जागरूक करने की जरूरत है उन्हें यह बताने की जरूरत है कि सोशल मीडिया वरदान  भी है  तथा  श्राप  भी। बहुत से संस्थानों ने यह बताया है कि लोगों में डायबिटीज ओबेसिटी और अनेक दिल की बीमारियां बढ़ती जा रही है क्योंकि वह घंटों सोशल मीडिया पर बिताते हैं| 

लोग व्यायाम नहीं करते तथा घर में बैठे रहते हैं जिनसे इन बीमारियों में और उछाल आ रहा है और इससे सबसे ज्यादा वह व्यस्त प्रभावित होते है |

एक जागरूक नागरिक की तरह हमारा यह कर्तव्य बनता है कि समाज में फैलते सोशल मीडिया के अपराधों को रोकने तथा इसमें भागीदारी ना दें| लोगों को सच्चाई से अवगत कराएं और फेक न्यूज़ को बढ़ावा ना दें| सरकार का यह दायित्व है कि लोगों को जागरूक करें तथा उन्हें यह बताएं कि सोशल मीडिया से क्या-क्या बुरा हो सकता है| 

जागरूकता फैलाने में हम एक अच्छे नागरिक की तरह सरकार की मदद कर सकते हैं तथा उनको नो तक भी जागरूकता पहुंचा सकते हैं जहां तक सरकार नहीं पहुंच पाती| हमें सोशल मीडिया के मूल स्वभाव को बचा के रखना है जो कि यह था कि लोगों में भाईचारा बड़े और लोगों को सच्चाई से अवगत करा सकें| 

हमें इस सिद्धांत को आगे बढ़ाना है तथा तथा अपराध को कम करके अपनी समाज को एक अपराध हीन समाज बनाना है जिससे कि हम सब अच्छे से जीवन व्यतीत कर सकें |

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: रवि कृष्ण 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे । 

2 टिप्‍पणियां:

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