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Water Pollution and Humans: जल प्रदूषण और मनुष्य

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How does Water Pollution Affect Humans:

Water Pollution and Humans:
Water Pollution & Humans
जल जिसे प्रकृति के 5 सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक माना जाता है।  जल का रासायनिक नाम H2O है। इसमें हाइड्रोजन का एक और ऑक्सीजन के दो अणु पाए जाते हैं। धरती के तीन बटे चार हिस्से को छोड़कर संपूर्ण भाग में (लगभग 71%)जल है।  

जल की ही अधिकता होने के कारण अंतरिक्ष से पृथ्वी नीली दिखाई देती है। पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसलिए मनुष्य जाति व अन्य पशु पक्षियों का समूह इस ग्रह पर विकसित हो पाया है।  सोचने का विषय तो यह है कि मनुष्य जिसे सबसे बुद्धिमान माना जाता है अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के चलते जल संकट जैसी बड़ी समस्या को जन्म देने की मूर्खता कर रहा है।

जैसा कि हम जानते हैं जल मनुष्यों, पेड़ों अन्य जंतुओं के लिए प्राथमिक आवश्यकता है अगर हम बात करें मनुष्यों की तो मनुष्य 7 दिनों तक बिना भोजन किए जीवित रह सकता है लेकिन बिना जल पिये 3 दिन भी जीवित नहीं रह पाएगा। मानव शरीर के लिए जल का बहुत महत्व है। 


💥जल प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव:

वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य के शरीर का 78% भाग जल होता है। इस प्रकार यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी मानव के लिए बेहद जरूरी है। पृथ्वी पर जल दो प्रकार के पाए जाते हैं - खारा जल और मीठा जल। समुद्र में पाए जाने वाले जल को खारा जल कहा जाता है और इसके अलावा नदियों, पोखरों , झरनों में बहने वाला जल मीठा होता है। 

पीने के लिए मीठा पानी प्रयोग किया जाता है। मनुष्य पानी का प्रयोग पीने के अलावा खाना बनाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने, घर की सफाई आदि में भी करता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 2 से 3 लीटर स्वच्छ जल का सेवन करना चाहिए । 


वर्तमान में देश में फैली महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए हाथ धोने मे स्वच्छ जल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को जब प्यास लगती है और पानी नहीं मिलता तो बड़ी बेचैनी होती है उसी समय जल की महत्ता का अंदाजा लग जाता है इसीलिए तो किसी ने ठीक ही कहा है "जल ही जीवन है।" 

इन सबके बावजूद  बुद्धिमान मनुष्य ही इस कीमती जल को अपने चंद फायदों के लिए प्रदूषित कर रहा है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जल प्रदूषण और जल संकट की समस्या विकराल रूप ले रही है। जल प्रदूषण के लिए नागरिकों से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक ने आंखों में पट्टी बांधकर रखी है। 

दिन प्रतिदिन पीने का जल प्रदूषित हो रहा है और मानव के साथ-साथ वनस्पति जीव जंतु आदि के जीवन संकट में पड़ चुके हैं। आखिर जल प्रदूषण क्या है? इसका कारण क्या है? और इससे होने वाली समस्या कौन-कौन सी हैं? 

जल में (पोषक) लाभकारी तत्वों में अन्य जटिल हानिकारक रासायनिक तत्वों का समावेश ही जल प्रदूषण है। इसका कारण मानव है। बढ़ते औद्योगिकीकरण और कृत्रिम संसाधनों के कारण जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। 

कल-कारखानों से निकलने वाले रसायनिक जल स्वच्छ जल में मिलकर उसे दूषित कर रहे हैं।पशुओं को नहलाने से नदियों में कचरा ,पूजा पाठ का अनावश्यक सामान विसर्जित करने से भी जल प्रदूषित हो रहा है। जल प्रदूषण के कारण पीने के पानी की मात्रा पर फर्क पड़ रहा है ।दूषित जल के सेवन से जीव जंतुओं के प्रजातियां लुप्त हो रही हैं। 


भारत देश के कई गांवों में सन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार हर साल लगभग 3.5 लाख लोगों की मृत्यु दूषित जल के सेवन से होती है। मौत से बचने के लिए लोग साफ पानी की खोज में बौखला रहे हैं। राजस्थान समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में लोगों को स्वच्छ जल की कीमत मिलो चल कर चुकानी पड़ती है। जल की समस्या यहीं तक सीमित नहीं है। 

स्वच्छ जल की पूर्ति के लिए लोग भूजल को प्रयोग कर रहे हैं। इस कारण भूजल स्तर निरंतर घटता जा रहा है। वर्षा जल का भी संचय ना होने के कारण नदियों का बढा अमूल्य जल भूगर्भ में जाने के बजाय समुद्र में मिलकर खारा हो जाता है। इस तरह वर्षा का जल उपयोग में ना आकर अनुपयोगी होता दिखाई दे रहा है। 

जल प्रदूषण और जल संकट से तो हम अवगत हो गए हैं लेकिन इसके बचाव व संरक्षण के लिए उपाय जानना आवश्यक है। जल प्रदूषण समाज में असाध्य बीमारी कैंसर की तरह होता जा रहा है। इसका अभी तक कोई अचूक इलाज नहीं मिल पाया है। फिर भी कुछ नियमों का पालन कर इसे कम किया जा सकता है। 

उद्योग धंधों के बगैर रहना तो मुश्किल है लेकिन इसके उपयोग को कम करके जल प्रदूषण कम किया जा सकता है। जल संरक्षण के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना होगा। नदी तालाबों में जानवरों को नहलाने पर रोक लगानी होगी। 

जल संकट से बचने के लिए वर्षा जल संरक्षण का कार्य करना चाहिए। जल प्रदूषण के लिए सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए। सरकार के साथ-साथ नागरिकों को प्रदूषण को लेकर जागरूक होना पड़ेगा। हम सभी को इसके बारे में हमें गंभीर हो कर चिंतन करना चाहिए। 

जल बिना जीवन संभव नहीं है। पानी की उपयोगिता को देखते हुए भक्ति काल के कवि रहीम कहते हैं- 
"रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।" 

हम सभी को मिलकर इस पृथ्वी को जल संकट से उबार कर जल को प्रदूषण मुक्त बनाना होगा वरना वह दिन दूर नहीं जब पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग तड़प जाएंगे और भोग विलास की एक भी वस्तु काम नहीं आएगी।


अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: उत्कर्ष वर्मा 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे । 

4 टिप्‍पणियां:

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