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World Earth Day 2020: ताकि बरकरार रहे, इस नीले ग्रह की खूबसूरती

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What is Earth Day and why is it Important?

ताकि बरकरार रहे, इस नीले ग्रह की खूबसूरती
World Earth day

हम भारतीयों ने पृथ्वी को मां का दर्जा दे रखा है, पर जब जरूरत अपनी मां की देखभाल की होती है, तो हम अपनी नजरें चुराने लगते हैं और अपनी जरूरत के लिए बिना सोचे समझे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा सिर्फ हम ही नहीं करते बल्कि पूरी दुनिया में ही ये होता है। पृथ्वी के साथ बढ़ते जुल्म को रोकथाम के लिए ही 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने की शुरूआत हुई। 

पूरे विश्व में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस यानी वर्ल्ड अर्थ डे की तरह मनाया जाता है। इस पृथ्वी दिवस को सेलिब्रेट करने का मकसद होता है, लोगों को पृथ्वी और पर्यावरण के बारे में जागरूक करना। इस दिन पर्यावरण और पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है।  

💥22 अप्रैल 1970 को पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया था:

हम सबके जीवन में कुछ ऐसा होता है, जिससे हमें प्रेरणा मिलती है या कुछ ऐसा होता है, जिससे हम सबक लेते हुए कुछ अच्छा करने की सोचते हैं। इसी तरह पृथ्वी दिवस की शुरूआत के पीछे भी एक त्रासदी थी, जिसने गेलॉर्ज नेल्सन को सोचने पर मजबूर कर दिया। 

पृथ्वी दिवस की शुरूआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। साल 1969 में सैंटा बारबरा में तेल रिसाव के कारण भारी नुकसान हुआ था। जिससे वे ये सोचने पर मजबूर हो गए कि पृथ्वी संरक्षण के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए वरना फिर यह जगह मनुष्यों के रहने लायक नहीं बचेगी। 


22 जनवरी को समुद्र में तीन मिलियन गैलेन तेल का रिसाव हुआ था जिससे लगभग दस हजार सीबर्ड्स, डॉलफ्नि, सील और सी लॉयन्स मारे गए। इसके बाद नेल्सन ने पृथ्वी के बारे में जागरूकता फैलाने को लेकर इस दिवस को मनाने की पेशकश की। 22 अप्रैल 1970 कोल लगभग दो करोड़ अमेरिकी लोगों ने पृथ्वी दिवस को पहले आयोजन में हिस्सा लिया। 

उसके बाद से लगभग 192 देशों के द्वारा इस दिवस को मनाया जाने लगा। साल 1969 में ही फ्रांस के एक शांति कार्यकर्ता जो पृथ्वी के साथ बढ़ती ज्यादती को देखकर दुखी थे, उन्होंने पृथ्वी को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रस्ताव रखा। 21 मार्च 1970 को इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव जॉन मैककोनेल ने चुना था। पर गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिवस को मनाने के लिए 22 अप्रैल के दिन को चुना। 

जॉन कोनेल ने साल 1969 में पृथ्वी दिवस का नाम दिया था। इस नए आंदोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना था।इस दिन पर जरूरी क्षेत्रों में पौधे लगाकर इस दिवस को मनाने की शुरूआत की गई थी। 

धरती के तापमान का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। 

ग्लोबल वार्मिंग धरती का सबसे बड़ा खतरा है। औद्योगिकीकरण के बाद कार्बनडाईऑक्साइड का उत्सर्जन पिछले सालों में कई गुना बढ़ा है। इसके अलावा विश्व में हर साल दस करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है। 


इस दिवस को मनाने के एक वजह इस धरती को किसी भी तरह के युद्ध की स्थिति से बचाना भी है। बेरहमी से प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल करने से बचने पर रोक लगाना है।

💥व्यापक लॉकडाउन के बीच कैसे मनाएं पृथ्वी दिवस: 

  • वैज्ञानिक भले ही मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश कर रहे हों, पर अभी तक पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। और मनुष्य को सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, ऐसे में मनुष्य की ही जिम्मेदारी बनती है कि वो पृथ्वी का संरक्षण करे
  • सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए इस दिन अपने गार्डन में नए पौधे लगाएं 
  • कोशिश करें कि प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल कम से कम करें, कपड़े की थैलियों के इस्तेमाल पर जोर दें
  • चीजों को रिसाइकिल और रीयूज करने की कोशिश करें
  • सोशल मीडिया पर पर्यावरण से संबंधित कोई गीत, या कोई मैसेज शेयर करके दूसरों को भी इस दिन को लेकर जागरूक करने की कोशिश करें। उन्हें ये बताने की कोशिश करें कि हर दिन को ऐसे मनाना चाहिए जैसे हर दिन पृथ्वी दिवस हो। क्योंकि बदलाव एक बहुत ही धीमी प्रक्रिया है, अचानक या एक दिन में कुछ भी नहीं बदला जा सकता है इसलिए अपनी इस पृथ्वी का हर दिन ख्याल रखें। 


💥लॉकडाउन के दौरान पृथ्वी कैसे कर रही खुद की हीलिंग:

साल 2020 के लिए इस दिन का थीम क्लाइमेट एक्शन यानी जलवायु कार्रवाई है। इस साल इस दिवस को लेकर खास ये है कि इस साल पृथ्वी दिवस अपना 50वां सालगिरह पूरी करेगा। 


लॉकडाउन के नकारात्मक पहलू हैं तो इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। लॉकडाउन मनुष्यों के लिए एक त्रासदी है, तो वहीं पृथ्वी के लिए एक वरदान की तरह है। जैसे मां अपने बच्चे को जन्म देती है, उसकी हर एक जरूरत का ख्याल रखती है, वैसे ही ये पृथ्वी हमारी हर जरूरत पूरा करने में मदद करती है।

अगर हम पृथ्वी का ध्यान रखने की अपनी जिम्मेदारी से कतराते हैं तो ये खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा है। पृथ्वी के इतने सारे एहसान के बदले में हमें बस इतना ही करना है कि हम इसका ख्याल रखें कुछ भी ऐसा न करें जो हमारे और हमारी पृथ्वी के लिए नुकसानदायक हो। 

कोरोना की वजह से पिछले कई दिनों के लॉकडाउन ने पृथ्वी पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। लोगों के घरों में बंद होने, फैक्ट्रियां और वाहनों के आदि के बंद होने से कार्बन में कमी आई है, जिससे ओजोन परत में सुधार देखा गया साथ ही हवा की गुणवत्ता बढ़ी है, धूल की वजह से जो आसमान धुंधला दिखता था अब नीला दिखने लगा है। 

इटली के वेनिस सिटी जो टूरिस्ट प्लेस होने की वजह से हमेशा भीड़ से भरा होता था वहां का पानी साफ हो गया है झील में बतखें आ गई हैं, वहीं हमारी गंगा और यमुना नदी का पानी भी काफी साफ हो गया है। इटली के समुद्री तटों पर डॉल्फिन लौट आई हैं। वहीं पोलैंड की सड़कों पर हिरणों के झुंड घूमते दिख जा रहे हैं।   

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: नबीला शागुफ़ी 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे । 

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