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Buddha Purnima 2020 Special: क्यों खास होता है, बुद्ध पूर्णिमा?

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क्यों खास होता है बुद्ध पूर्णिमा ?

क्यों खास होता है, बुद्ध पूर्णिमा?
Buddha Purnima

बुद्ध पूर्णिमा हर साल वैसाख महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। बौद्ध धर्म में ये काफी खास दिन होता है, क्योंकि इस दिन बौद्ध धर्म के जन्मदाता गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। 

एक ही दिन पर हुआ जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण: 
भगवान बुद्ध का जन्म वैसाख महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। महात्मा बुद्ध एक ऐसे राजा थे, जिन्होंने अपने पूरे राज-पाट को छोड़कर संन्यासी जीवन अपना लिया। वे एक ऐसी महान दिव्य आत्मा थे, जिन्हें आज भी लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। 

इसी वजह से वैशाख महीने के पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। लेकिन बुद्ध पूर्णिमा का संबंध केवल गौतम बुद्ध के जन्म से ही नहीं है बल्कि इसी पूर्णिमा तिथि को कई सालों तक जंगल में भटकने व कठोर तपस्या करने के बाद बोधगया में बोधवृक्ष के नीचे उन्हें सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था। 

इसी दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद ही महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरी दुनिया में एक नई रौशनी पैदा कर दी और पूरी दुनिया को इंसानियत और सच्चाई का पाठ पढ़ाया। वैशाख महीने के ही पूर्णिमा तिथि के दिन ही कुशीनगर में भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी हुआ था। 

यह अपने आप में एक बड़ा इत्तेफाक है कि महात्मा बुद्ध का जन्म, उनको ज्ञान की प्राप्ति और उनका महापरिनिर्वाण, सब एक ही दिन पर हुआ।

💥विष्णु के भी अवतार माने जाते हैं, बुद्ध:  



महात्मा बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के द्वारा ही नहीं पूजे जाते थे बल्कि उत्तरी भारत में गौतम बुद्ध को हिंदुओं में विष्णु का नौंवा अवतार भी माना जाता है। विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण माने जाते हैं। हालांकि दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है। 



दक्षिण भारत में बलराम को आठवां अवतार तो श्रीकृष्ण को नौवां अवतार माना जाता है। वैष्णवों में गौतम बुद्ध को आठवां अवतार माना गया है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी भगवान बुद्ध के विष्णु के अवतार होने को नहीं मानते। 

लेकिन इन तमाम पहलुओं के बावजूद वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा भी पूरी श्रद्धा और भक्ति के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा खास पर्व मनाया जाता है। बिहार के बोधगया में हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। 

कैसे मनाते हैं, इस दिन को ?

  • इस दिन बौद्ध लोग अपने घरों में दीए जलाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।
  • बौद्ध धर्म के ग्रंथ पढ़े जाते हैं।
  • मंदिर और घरों में अगरबत्ती जलाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीए जलाकर पूजा की जाती है।
  • बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी टहनियों पर हार चढ़ाए जाते हैं और तरह-तरह से पेड़ों की सजावट की जाती है।
  • जड़ों में दूध और सुगंधित पानी डाला जाता है। पेड़ के आसपास दीए जलाए जाते हैं।
  • इस दिन मांसाहार से परहेज किया जाता है, क्योंकि बुद्ध पशु-हत्या के खिलाफ थे।
  • माना जाता है कि इस दिन किए गए अच्छे कामों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन पक्षियों को पिंजरों से आजाद किया जाता है।
  • गरीबों को भोजन और कपड़े आदि दिए जाते हैं। 
दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है ताकि बौद्ध धर्म को मानने वाले आकर प्रार्थना कर सकें।


दूसरे देशों में कैसे मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा ?


वर्तमान में पूरी दुनिया में लगभग 180 करोड़ लोग बुद्ध के अनुयायी हैं। भारत के साथ-साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका जैसे कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है।

ताइवान: सरकार ने मई के दूसरे रविवार को महात्मा बुद्ध का जन्मदिन निर्धारित किया है।

जापान: अधिकांश जापानी मंदिर, भगवान बुद्ध का जन्म 8 अप्रैल को मानते हैं।

श्रीलंका: इस दिन को वेसाक नाम से मनाया जाता है, जिसे वैशाख का अपभ्रंश माना जाता है।

लॉकडाउन में कैसे मनाएं बुद्ध पूर्णिमा?

7 मई को भगवान बुद्ध की जयंती पर देश-दुनिया को विश्व स्वास्थय जागरूकता का पैगाम दिया जाएगा। कोरोना महामारी के चलते बुद्ध जयंती पूरे भारत के साथ-साथ महाविहार में भी सादगी से ही मनाया जाएगा 

इस बार महाविहार के भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो ने बताया कि बुद्ध के पवित्र वचनों से माहौल सकारात्मक बने, लोगों को कोरोना से मुक्ति मिले, सबका कल्याण हो इसी भावना के साथ बुद्ध जयंती मनाएंगे। 

परित्राण पाठ, बुद्ध वंदना, धम्म वंदना और संघ वंदना की जयघोष का ऑनलाइन प्रसारण किया जाएगा। लोगों से अपील की गई है कि वे घर पर रहकर बुद्ध वंदना करें और अष्टशील उपोसथ का पालन करें। 

इस दिन बुद्धभूमि महाविहार में सुबह दस बजे बुद्ध भगवान की मूर्ति पर पवित्र जल अर्पित कर बुद्ध वंदना और महापरित्राण पाठ कर कोरोना से निजात पाने का संदेश दिया जाएगा। शाम महाविहार में हजारों दीप जलाए जाएंगे। 

दीपों की इस आकर्षक रौशनी को सोशल मीडिया पर लाइव दिखाया जाएगा। इसके अलावा शहर के 45 अन्य जगहों पर बने बौद्ध विहारों में भी दीप जलाकर भगवान बुद्ध की वंदना की जाएगी।  


अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: नबीला शागुफ़ी 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे ।

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