जानें, मिनी इंडिया फिजी के हर फीचर्स को
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Fiji: Mini India |
फिजी, जिसे आधिकारिक रूप से फिजी द्वीप समूह गणराज्य के नाम से जाना जाता है। ये देश दक्षिण प्रशांत महासागर के मेलानिशिया में एक द्वीप देश है। ये न्यूजीलैंड से करीब दो हजार किलोमीटर की दूरी पर है। इस देश को दुनिया को 15वां सबसे बड़ा आइलैंड होने का दर्जा हासिल है।
फिजी की राजधानी सुवा है और यहां का सबसे बड़ा शहर नसिनु है। फिजी की राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी, हिंदी और फिजीयन है। यहां के लोग जिस हिंदी का इस्तेमाल करते हैं, वह अवधी भाषा से मिलती-जुलती हुई है। फिजी की करेंसी फिजीयन डॉलर है, जिसकी कीमत करीब तैंतीस भारतीय रूपया है।
फिजी के फिजिकल फीचर्स:
फिजी देश का प्रकृति ने अपने हाथों से सजाया है। यहां पर कई सारी झीलें, आइलैंड और तरह-तरह की सांस्कृतिक विविधता से भरा हुआ है। यहां हर साल लगभग लाखों पर्यटक आते हैं। फिजी की आय का मुख्य स्त्रोत भी टूरिज्म ही है।
यहां आय का दूसरा स्त्रोत मछली, चीनी और नारियल के निर्यात से होता है। यहां जंगल और प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। प्राकृतिक संसाधनों की अच्छी खासी मौजूदगी की वजह से ही इस आइलैंड को प्रशांत महासागर के आइलैंड में से सबसे उन्नत आइलैंड माना जाता है।
फिजी के ज्यादातर आइलैंड में ज्वालामुखी मौजूद हैं। यहां के बहुत कम आइलैंड पर जीवन मौजूद है। यहां की कुल आबादी की 87 फीसद आबादी विती लेउ द्वीप और वेनुआ लेउ द्वीप में पाई जाती है। यहां कुल 322 द्वीप हैं। जिनमें से 106 द्वीप में ही लोग बसे हुए हैं।
फिजी के ज्यादातर द्वीपों का निर्माण करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण हुआ है। यहां अक्सर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं।
फिजी की राजधानी सुवा में सबसे ज्यादा बारिश होती है। यहां पर हफ्ते में कम से कम दो दिन तो बारिश जरूर होती है।
फिजी कैसे बना, मिनी इंडिया:
ये देश 1960 में ब्रिटेन से आजाद हुआ था। ब्रिटेन ने इस देश पर 1874 से अपने कब्जे में ले रखा था। ब्रिटेन सरकार भारत से मजदूरों को कांट्रैक्ट पर गन्ने की खेती के लिए फिजी ले जाती थी। ये कॉन्ट्रैक्ट पांच सालों के लिए होते थे।
साथ ही ब्रिटेन सरकार मजदूरों के सामने ये रख देती थी कि पांच साल पूरे होने के बाद वे वापस अपने खर्च पर जा सकते हैं, लेकिन अगर वे और पांच साल तक के लिए रूक जाते हैं तो उन्हें ब्रिटिश सरकार अपने खर्च से वापस भारत भेजेगी।
ऐसे में ज्यादातर मजदूरों ने और पांच साल तक काम करना ही बेहतर समझा, लेकिन पांच सालों के बाद वे वापस भारत नहीं लौट पाए और वहीं के हो कर रह गए। 1920 और 1930 के दशक में अपनी मर्जी से हजारों भारतीय फिजी में आकर बसे थे।
यहां भारतीयों की अच्छी खासी तादाद है, जो हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। इस देश की जनसंख्या लगभग 9 लाख है। यहां भारतीयों की तादाद कुल जनसंख्या के 40 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है। बाकी आबादी चीनी और यूरोपियन लोगों की है। यहां भारतीय मूल के लोगों में करीब 77 फीसद लोग हिंदू, 16 फीसद लोग मुस्लिम और बाकी की आबादी सिख और ईसाई की है।
फिजी कल्चर:
फिजी की पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाज आपको एक अलग अनुभव देंगे, खासकर यहां के स्वागत गीत आपका मन मोह लेंगे। फिजी में आप जहां कहीं भी जाएं लोगों की गर्मजोशी से भरी मुस्कान, दोस्ताना रवैया और जगह-जगह पर बजते संगीत आपको खुश कर देंगे।
यहां घूमने पर आपको महसूस नहीं होगा कि आप कहीं दूसरे देश में है, बल्कि यहां पर आपको भारत में ही होने का एहसास होगा। फिजी में ‘कावा’ नामक पेय काफी प्रचलित है। इस पेय को यहां का राष्ट्रीय ड्रिंक माना जाता है और इसे हर समारोह में पिया जाता है।
यहां के लोग रग्बी खेलने के शौकीन हैं। रग्बी यहां का राष्ट्रीय खेल है। मनोरंजन के लिए यहां के लोग नाव लेकर समुद्र में दूर तक निकल जाते हैं।
फिजियन संस्कृति में खाने को ‘लोवो’ में पकाया जाता है, जिसे बर्तनों को जमीन के अंदर गर्म पत्थरों के बीच में रख कर बनाया जाता है। इस तकनीक में खाना बहुत धीरे-धीरे बनता है, जिससे खाने को एक अलग स्मोकी टेस्ट मिलता है। यहां समुद्र में तैरती रंगबिरंगी मछलियां आपको एक जादूई एहसास देंगी।
फिजी के तबुआ परंपरा के अनुसार, एक लड़के को लड़की से शादी करने के लिए व्हेल मछली का दांत उस लड़की के पिता को देना पड़ता है। यह परंपरा आज तक चली आ रही है।
फिजी में कदम रखते ही आपको ये एहसास हो जाएगा कि म्यूजिक और डांस यहां के लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। फिजी में भारतीय, चीनी और यूरोपियन संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलता है। यहां का लोक नृत्य अफ्रीका के आदिवासियों के नृत्य से काफी मिलता-जुलता है।
यहां गाने और डांस के लिए ग्रुप में होते हैं, एक ग्रुप बैठ कर गाने और म्यूजिक बजाता है। आदमी आमतौर पर योद्धाओ के वेषभूषा में होते हैं, और इनमें से कई पारंपरिक फिजियन टैटू भी गुदवाते हैं। औरतें नारियल तेल से सुगंधित पारंपरिक पोशाकें पहनती हैं। यहां डांस के रूप में लोग इतिहास की कहानी, प्रेम या किसी तरह की पारंपरिक कहानी का प्रदर्शन करते हैं।
प्राचीन फिजी के आदिवासी नरभक्षी हुआ करते थे। यहां के आदिवासी कुदरती मौत होने वाले लोगों को ना खाकर उन्हें खाते थे जो युद्ध में मारे गए हों।
फिजी में धर्म:
फिजी में 40 फीसद भारतीय होने के बावजूद, यहां पर सबसे ज्यादा लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं। इसके बाद हिंदू धर्म के मानने वाले लोग हैं। फिजी में मंदिरों की संख्या अच्छी खासी है। यहां के नांदी इलाके में मौजूद श्री शिव सुब्रहाम्नय मंदिर इस देश का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यहां रामनवमी, होली और दीवाली जैसे त्योहार भी मनाए जाते हैं।
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