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What Is Arithmophobia: क्या आपको भी डराते हैं, नम्बर्स?

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The Fear Of Numbers: क्या आपको भी डराते हैं, नम्बर्स ?

क्या आपको भी डराते हैं, नम्बर्स?
Arithmophobia

हमारे आसपास बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जिन्हें नंबरों से खेलने में काफी मजा आता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें नंबरों से घबराहट होती है, उन्हें रेस्टोरेंट का बिल को जोड़ने में मुश्किल होती है, पिनकोड भूल जाते हैं या पिनकोड याद ही नहीं हो पाता, किसी तरह के कैलकुलेशन करते समय पसीने-पसीने हो जाते हैं। 

इसी तरह के डर को एरिथमोफोबिया या न्यूमेरोफोबिया के नाम से जाना जाता है। 

जब हमारा डर हमारी हिम्मत से बड़ा हो जाए तो वो फोबिया बन जाता है। फोबिया कई तरह का होता है इसी में एक फोबिया है एरिथमोफोबिया। जैसा कि नाम से ही जाहिर है ये फोबिया नंबरों से जुड़ा है, इसलिए इसे न्यूमेरोफोबिया के नाम से भी जानते हैं। 

ये फोबिया किसी के लाइफस्टाइल को भी प्रभावित कर सकता है यानी अगर किसी ने रूपए-पैसों का हिसाब करने को दे दिया तो उसे एक तरह की घबराहट सी होने लगती है।

💥बचपन का कोई अनुभव हो सकता है, इसका जिम्मेदार: 

किसी के भी एरिथमोफोबिया या न्यूमेरोफोबिया से जूझने की कई वजहें हो सकती हैं जैसे आमतौर पर किसी भी दूसरे फोबिया में होता है, बचपन का कोई बुरा अनुभव। स्कूल में मैथ्स में फेल होने या मैथ्स में फिसड्डी होने की वजह से दूसरे बच्चों के द्वारा मजाक उड़ाए जाने की वजह से भी मन में मैथ्स को लेकर एक तरह का डर बैठ जाता है। 



स्कूल में मैथ्स को बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय माना जाता है ऐसे में पैरेंट्स की तरफ से भी दबाव होता है कि वे मैथ्स में अच्छे नंबर ले आए। इसी तरह के दबाव झेलते हुए किसी के मन में मैथ्स को लेकर डर बन जाता है, न्यूमेरोफोबिया होने की ये मुख्य वजह है। 

तो कई बार किसी में ये डर पैदाइशी होता है, जैसे कि किसी नंबर को ना पहचानना या अक्षरों को लेकर डर बना रहना। 

एरिथमोफोबिया के कुछ मामलों में ये डर सभी नंबरों के लिए होता है, तो कुछ मामलों में ये डर कुछ स्पेशल नंबरों के लिए होता है, जैसे- बाइबल और कुछ अन्य धर्म ग्रंथों में 13 नंबर को लकी नहीं माना जाता है, जिसकी वजह से कुछ लोगों में इस नंबर को लेकर भी डर देखा गया। 

वहीं चीन, वियतनाम जैसे देशों में 4 नंबर को मौत से जोड़ कर देखा जाता है ऐसे में वहां के कुछ लोगों में 4 नंबर को लेकर भी डर देखा जा सकता है। 

न्यूमेरोफोबिया के ये होते हैं, लक्षण:

न्यूमेरोफोबिया होने पर व्यक्ति में कुछ लक्षण नजर आते हैं, जिससे पता लग जाता है कि कोई व्यक्ति न्यूमेरोफोबिया से जूझ रहा है या नहीं। 


आमतौर पर न्यूमेरोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य सा भी कैलकुलेशन करने को दे दिया जाए तो उसे घबराहट होने लगती है, वो बहुत ही डिप्रेसड लगता है, सांसें तेज चलने लगती हैं, बहुत पसीना आता है, उल्टी सी होने लगती है, गला सूखने लगता है, या मुंह से सही शब्द नहीं निकल पाते। 

न्यूमेरोफोबिया किसी के लिए भी काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि हम सबको अपने रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-मोटे कैलकुलेशन करने ही होते हैं। लेकिन न्यूमेरोफोबिया से पीड़ित लोग सामाजिक रूप से अयोग्य माने जाते हैं कई बार उन्हें बाकी लोगों से कमतर समझा जाता है, जिससे उन्हें हीनभावना घर कर जाती है और इससे उबर पाना उनके लिए काफी मुश्किल होता है। 

आसान है, इसका इलाज:

एरिथमोफोबिया होने पर इसका इलाज काफी आसान है, बशर्ते इंसान समझ जाए कि उसे कहां परेशानी हो रही है। इस फोबिया से बाहर आने के लिए थेरेपी और दवा का इस्तेमाल किया जाता है। 

ज्यादातर मामलों में इसका इलाज थेरेपी के जरिए ही किया जाता है लेकिन अगर मरीज ज्यादा ही तनाव में है तो फिर दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें दवा के ज्यादा प्रयोग करने से इसलिए बचा जाता है क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाले दवा के साइड इफेक्टस भी बहुत होते हैं। 

इस फोबिया का इलाज कई तरह के थेरेपी से किया जाता है, जैसे- न्यूरो लिंगिविस्टिक प्रोग्रामिंग थेरेपी, इस थेरेपी में ब्रेन को कुछ इस तरह से रिप्रोग्राम किया जाता है कि मन में नंबरों का बैठा डर आसानी से निकल जाए। इसके अलावा एक्सपोजर थेरेपी और हिप्नोथेरेपी का भी इस्तेमाल इस फोबिया को दूर करने के लिए किया जाता है।


अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका ,सहृदय धन्यवाद !!!

💬 सहयोग: नबीला शागुफ़ी 

नोट:  प्रिय पाठकों, आपसे विनम्र निवेदन है यदि आपको इस लेख में कही भी , कोई भी त्रुटि नजर आती है या आप कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कृपया नीचे दिए गए टिप्पणी स्थान ( Comment Box) में अपने विचार व्यक्त कर सकते है, हम अतिशीघ्र उस पर उचित कदम उठायेंगे । 

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